Portfolio एक अंग्रेजी शब्द है जिसका हिंदी अर्थ है इस तरह की जानकारी का संग्रह या कलेक्शन। अब हम स्पेसिफिक इन्फॉर्मेशन ध्यान देने वाली बात ये है की अलग अलग चीजों की जानकारी के संग्रह के आधार पर बहुत सारे अलग अलग तरह के Portfolio हो सकते हैं।
जैसे मोडलिंग की दुनिया में एक पोर्टफ़ोलियो होता है मोडलिंग पोर्टफोलियों और इसी तरह की दुनिया में कई तरह के अलग अलग पोर्ट्फोलीओ हो सकते हैं जैसे
लेकिन आज के इन्वेस्टमेंट यानी निवेश के संबंध में पोर्टफोलियों का मतलब होता है अलग अलग निवेश के विकल्पों में किए गए निवेश की जानकारी का संग्रह या आपने जो भी अलग अलग एसेट क्लास में निवेश किया है, अगर उन सभी निवेश की एक लिस्ट बनाई जाये और बाद में उसका टोटल निकाला जाए तो इसे ही आपके निवेश का पोर्ट्फोलीओ कहा जाएगा।
इन्वेस्टमेंट यानी निवेश की पूरी जानकारी को जगह इकट्ठा करना होता है और पोर्टफोलियों बिल्कुल एक रिपोर्ट कार्ड की तरह होता है जो हमें हमारे पूरे निवेशकों को एक समरी के रूप में जानकारी देता है।
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पोर्टफोलियों एक बहुत ही इम्पोर्टेन्ट कॉनसेप्ट है जिसका फाइनैंस जगत में निवेश के संबंध में अक्सर इस्तेमाल किया जाता है और पोर्टफोलिओ बनाने का मुख्य उद्देश्य यही होता है की किसी इन्वेस्टमेंट को डाइवर्सिफाइड बनाया जाये ताकि कोई भी निवेशक कम से कम रिस्क के साथ अपने इन्वेस्टमेंट पर अलग अलग निवेश के विकल्पों में बैलैंस तरीके से डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियों बनाकर इन्वेस्टमेंट पर अच्छे से अच्छा लाभ कमा सके ।
अगर आप बड़ा सोचते है की मतलब अगर आप लंबे समय के लिए सोचते हैं तो आप अपने लिए कई अलग अलग तरह के निवेश पोर्टफोलियों बना सकते हैं। जैसे रिटायरमेंट फंड पोर्टफोलियों जिसमें आप सिर्फ लंबे समय के लिए निवेश कर सकते हैं या फिर बच्चों की एजुकेशन के लिए अलग एक विशेष निवेश पोर्टफोलियों होता है।
इसके अलावा आप अपने फाइनैंशल प्लैन के अनुसार अपनी लाइफ के सभी गोल्स के लिए एक अलग अलग निवेश का पोर्टफोलियों बना सकते हैं ताकि आप अपने निवेश में डाइवर्सिफिकेशन के सिद्धांत का उपयोग करके कम से कम रिस्क में अधिक से अधिक लाभ कमा सके और अपने सपनों को पूरा कर सके।
निवेश करते समय पोर्ट्फोलीओ के फायदा ये है की आप इसकी हेल्प से अपने सभी निवेशकों के ओवरऑल यानी सभी निवेशकों का मिलाजुला परफॉरमेंस एक साथ देख सकते और साथ ही आप तुलनात्मक स्टडी भी कर सकते हैं कि आपका निवेश पोर्टफोलियों अलग अलग समय में किस हिसाब से परफॉर्म कर रहा है।
सबसे बड़ा फायदा ये होता है की आप अपने इन्वेस्टमेंट के ऊपर डाइवर्सिफिकेशन का सिद्धांत अप्लाइ कर सकते हैं। यानी पोर्टफोलियों की मदद से आप अपने निवेश की रकम को अलग अलग निवेश के विकल्पों में निवेश करके अपने निवेश को डायवर्सिफाइ करके इन्वेस्टमेंट से जुड़े रिस्क को कंट्रोल कर सकते हैं।(Portfolio Kya Hai In Hindi)
आपने सुना ही होगा निवेश के बारे में मिस्टर वरुण हमेशा यह सलाह देते हैं कि आपको अपने सभी अंडे किसी एक बॉक्स में नहीं रखने चाहिए क्योंकि अगर उस बॉक्स को कुछ भी होता है तो आपके पूरे अंडे फूट जायेंगे और आपका नुकसान बड़ा होगा। ठीक उसी तरह जब भी आप निवेश करें तो आपको अपना पूरा पैसा किसी एक निवेश के विकल्प में निवेश नहीं करना चाहिए।
क्योंकि अगर उस निवेश के साथ कुछ भी भारी गड़बड़ी होती है तो आपका पूरा पैसा डूब सकता है। जैसे अगर आपने सारा पैसा स्टॉक मार्केट में लगाया हुआ है और अगर स्टॉक मार्केट क्रैश होता है तो इसकी वजह से आपको बहुत भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
लेकिन अगर आपने अपने निवेश पोर्टफोलियों को डाइवर्सिफाई किया हुआ है यानी अलग अलग निवेश के विकल्पों में अपने रिस्क उठाने की क्षमता के अनुसार निवेश किया हुआ है तो आपको स्टॉक मार्केट क्रैश होने से नुकसान तो जरूर होगा लेकिन हो सकता है की आपके डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियों की वजह से आपके पोर्टफोलियों वर्क स्टॉक मार्केट क्रैश होने का असर कम से कम हो।
तो इसलिए निवेशकों को हमेशा सबसे पहली सलाह यही दी जाती है की उनको अपने रिस्क उठाने की क्षमता के अनुसार अपना एक बैलैंस्ड निवेश पोर्टफोलियों बनाने का प्रयास करना चाहिए, जिससे भी कम से कम रिस्क के साथ अच्छा लाभ हासिल कर सके और इसीलिए पोर्टफोलियों क्या होता है, ये कैसे काम करता है इसे समझना बहुत इम्पोर्टेन्ट हो जाता है।
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इनकम प्रिजर्वेटिव पोर्ट्फोलीओ के इन्वेस्टर्स रिस्क काफी कम लेने वाले होते हैं और ये मोस्टली चेनजेबल सिक्युरिटीज़ में अपना इन्वेस्टमेंट नहीं करते इनकम, प्रिजर्वेटिव, पोर्टफोलियों में एक कंटिन्यू इनकम वाले सिक्यॉरिटीज ज्यादा होती है। differentiate करने के लिए blue chips share का भी प्रयोग किया जाता है ।
इस कैटेगरी के इन्वेस्टर्स अपनी सेविंग्स का पार्ट अपनी रेग्युलर इनकम देने वाली सिक्यॉरिटीज में लगाते हैं, और इसका कुछ पार्ट अपनी इनकम को बढ़ाने वाली सिक्योरिटीज़ में लगाते हैं। Portfolio Kya Hai In Hindi इस कैटगरी के इन्वेस्टर्स अपनी लाइफ को स्पेन करने के लिए पैसा नहीं चाहते, बल्कि कुछ सालो के लिए अपने रिस्पॉन्सिबिलिटीज को अच्छे से फुलफिल करने के लिए बेस्ट अर्निंग चाहते हैं। conservative पोर्टफोलियों इन्वेस्टर्स एक हद तक रिस्की भी होते हैं।
स्टॉक इन्क्लूड होती है जो की रिटर्न प्रोवाइड कराती है। डिफेंसिव सेक्युरिटी मतलब की जिसमें नॉर्मल रेट ऑफ रिटर्न है, वो होती है हमारी डिफेन्स इन्सेक्युरिटी तो उस पे हाइ रेट रिटर्न मिले तो ये जो पोर्टफोलियों उन स्टॉक्स को इन्क्लूड करता है जो सेक्युरिटी डिफेंसिव भी हो और थोड़ा सा हाइ रेट ऑफ रिटर्न भी प्रोवाइड कराये तो इनकम पोर्टफोलियों में ये वाली सेक्युरिटी आती है।
जैसा की जहाँ ज्यादा इनकम है, रिस्क भी ज्यादा होता है तो यह ज़्यादा रिस्क उठा सकते हैं साथ ही साथ इन्वेस्ट करने के बाद अच्छी अर्निंग के लिए इनके अंदर काफी पेशेंट्स होता है। वेल्थ बिल्डर पोर्ट्फोलीओ वाले इन्वेस्टर् quick अर्निंग पर विश्वास नहीं रखते। बल्कि, वह अपने कैपिटल को दुगने से ज्यादा वापस पाने की कोशिश और हिम्मत रखते हैं।
तो ऑब्वियस्ली फ्लक्चुएशन सभी उनमें लगातार होती ही रहेंगी, किसी भी सेक्युरिटी में इन्वेस्ट करोगे तो आप डेली उसमें फ्लक्चुएशन जरूर देखोगे। मतलब हाई रिस्क और हाई रिटर्न वाली आपको देखने को मिलेंगे , इसीलिए हाई रिस्क है। तो ऐसी कंपनी जो की एग्रेसिव स्टॉक प्रोपोज़ करती है, यानी की हाइरिस्क वाली सेक्युरिटी प्रोपोज़ करती है, वो ऐसा इसलिए करती है क्योंकि वो अपनी पास्ट, ग्रोथ रेट और प्राइज को भी consider करके चलते हैं।
Portfolio Kya Hai In Hindi ये की जो भी हमारी संपत्ति है, जो भी हमारे पास धन है उसको हम तीन फॉर्म में रखेंगे। पहला करेन्सी के फॉर्म में, दूसरा डोमेस्टिक करेन्सी डोमेस्टिक बॉन्ड के रूप में, तीसरा फॉरेन बॉन्ड के रूप में तो ऐसा नहीं है की सारा का सारा पैसा हम फॉरेन बॉन्ड में रखेंगे और ऐसा भी नहीं है की सारा का सारा पैसा डोमेस्टिक बॉन्ड में रखेंगे।
तो सबसे पहले तो हमें की घरेलू ब्याज दर पर और विदेशी ब्याज दर पर निर्भर करते हैं की अगर करेन्सी जो पैसा आप कैश रखते हो अगर मान लीजिये विदेशों में मुद्रा ब्याज की दर घट जाए या घरेलू बाजार में की दर घट जाए तो आप ज्यादा मुद्रा को अपने पास रखोगे क्योंकि मुद्रा को कैश रखने की जो कॉस्ट होती है, ब्याज की दर होती है।
अगर ब्याज की दर ऊंची होगी, चाहे वो घरेलू बाजार हो या फिर विदेशी बाजार में हो तो इसका मतलब है मुद्रा को कैश रखने के लिए आपकी कॉस्ट ज्यादा है। तो इसका मतलब ब्याज की दर नीचे होगी, चाहे वो घरेलू बाजार ब्याज दर हो, चाहे विदेशी ब्याज दर हो तो आप ज्यादा मात्रा में पैसा कैश रखोगे।
डोमेस्टिक मार्केट यानी की अगर विदेशी बाजार में विदेशी ब्याज दर ज्यादा है या मान लीजिये विदेशी ब्याज दर कम होती है तो आप पैसा जो है वो घरेलू मार्केट में लगाओगे।
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पोर्टफोलियों इसी लिए महत्वपूर्ण है क्युकी इसके द्वारा एक इन्वेस्टर निश्चय कर सकता है की कितनी कैपिटल इन्वेस्ट करने की जरूरत है? और किन किन फाइनैंशल ऐसेट या फिर किन किन सेक्युरिटीज़ में वो इन्वेस्ट करें। और किस प्रोपोर्शन में करें यानी की कितना कैपिटल किस asset में लगाना है और कितना कैपिटल किस सेक्युरिटी मैं लगाना है
और कितना कैपिटल किस सेक्युरिटी मैं लगाना है । पोर्टफोलियों मैनेजमेंट इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्युकी इसके द्वारा पता लगता है की यह काफी हेल्पफुल है डिटरमाइंड करने में की अपनी कैपिटल को कैसे इन्वेस्ट और मैनेज करना है
कोई भी पर्सन यही चाहता है की उसका पैसा बचे भी और उस पैसे के ऊपर उसको अच्छी खासी इनकम या फिर रिटर्न मिले। तो इसके लिए प्रोटोफोलियों की बहुत importance है ।
1. पोर्टफोलियो का क्या अर्थ है?
पोर्टफोलियों जो होता है, हमारी सारी इन्वेस्टमेंट का एक स्टॉक होता है, जिसमें हम अपने इन्वेस्टमेंट्स को हमें अपने कैपिटल को इन्वेस्ट करना हैं। उसको हम कैटेगराइज करते हैं कि हम अपने सारे कैपिटल को एक ही जगह इन्वेस्ट ना करे। डिफ़रेंट शिएट करके इन्वेस्ट करें। जिससे की हमें रिस्क कम उठाने और लॉस कम उठाने की जरूरत पडे ।
2. पोर्टफोलियो क्यों महत्वपूर्ण है?
पोर्टफोलियों हमारे लिए इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि पोर्टफोलियों के जरिए हम अपने स्टॉक, बॉन्ड और कैश को इन्क्लूड करते हैं। साथ ही साथ हम इसमें इक्विटी शेयर्स, टैंजिबल असेट ओर इनटैंजिबल ऐसेट को भी शामिल करते हैं। और एक विस्तृत रूप से कैटेगराइज करते हैं। Portfolio Kya Hai In Hindi अपने कैपिटल के एक्सपेंडिचर्स को भी analysis करते है , तो हमें इन सब चीजों को ऐनालाइज करने में पोर्ट्फोलीओ काफी मददगार साबित होता है ।
3. पोर्टफोलियो संशोधन क्या है?
प्रेसेंट पोर्टफोलियों में ज्यादा प्रॉपर्टी या कैपिटल या फिर ऐसेट ऐड करने या इन्वेस्ट किए गए कैपिटल के अकॉर्डिंग उसको चेंज करने की प्रोसेसेस को पोर्टफोलियों संशोधन कहते हैं।
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