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Portfolio Kya Hai In Hindi | Portfolio Banana Kyu Zaruri Hai
जीवन शैली

Portfolio Kya Hai In Hindi | Portfolio Banana Kyu Zaruri Hai

Portfolio एक अंग्रेजी शब्द है जिसका हिंदी अर्थ है इस तरह की जानकारी का संग्रह या कलेक्शन। अब हम स्पेसिफिक इन्फॉर्मेशन ध्यान देने वाली बात ये है की अलग अलग चीजों की जानकारी के संग्रह के आधार पर बहुत सारे अलग अलग तरह के Portfolio हो सकते हैं।

जैसे मोडलिंग की दुनिया में एक पोर्टफ़ोलियो होता है मोडलिंग पोर्टफोलियों और इसी तरह की दुनिया में कई तरह के अलग अलग पोर्ट्फोलीओ हो सकते हैं जैसे

  • इन्श्योरेन्स पोर्टफोलियों,
  • इक्विटी पोर्टफोलियों,
  • डेट पोर्टफोलियों,
  • इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियों,
  • रिटायरमेंट फंड पोर्टफोलियों और इसी तरह के अन्य पोर्टफोलियों।

लेकिन आज के इन्वेस्टमेंट यानी निवेश के संबंध में पोर्टफोलियों का मतलब होता है अलग अलग निवेश के विकल्पों में किए गए निवेश की जानकारी का संग्रह या आपने जो भी अलग अलग एसेट क्लास में निवेश किया है, अगर उन सभी निवेश की एक लिस्ट बनाई जाये और बाद में उसका टोटल निकाला जाए तो इसे ही आपके निवेश का पोर्ट्फोलीओ कहा जाएगा।

इन्वेस्टमेंट यानी निवेश की पूरी जानकारी को  जगह इकट्ठा करना होता है और पोर्टफोलियों बिल्कुल एक रिपोर्ट कार्ड की तरह होता है जो हमें हमारे पूरे निवेशकों को एक समरी के रूप में जानकारी देता है।

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Portfolio Kya Hai In Hindi

पोर्टफोलियों एक बहुत ही इम्पोर्टेन्ट कॉनसेप्ट है जिसका फाइनैंस जगत में निवेश के संबंध में अक्सर इस्तेमाल किया जाता है और पोर्टफोलिओ बनाने का मुख्य उद्देश्य यही होता है की किसी इन्वेस्टमेंट को डाइवर्सिफाइड बनाया जाये ताकि कोई भी निवेशक कम से कम रिस्क के साथ अपने इन्वेस्टमेंट पर अलग अलग निवेश के विकल्पों में बैलैंस तरीके से डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियों बनाकर इन्वेस्टमेंट पर अच्छे से अच्छा लाभ कमा सके ।

अगर आप बड़ा सोचते है की मतलब अगर आप लंबे समय के लिए सोचते हैं तो आप अपने लिए कई अलग अलग तरह के निवेश पोर्टफोलियों बना सकते हैं। जैसे रिटायरमेंट फंड पोर्टफोलियों जिसमें आप सिर्फ लंबे समय के लिए निवेश कर सकते हैं या फिर बच्चों की एजुकेशन के लिए अलग एक विशेष निवेश पोर्टफोलियों होता है।

इसके अलावा आप अपने फाइनैंशल प्लैन के अनुसार अपनी लाइफ के सभी गोल्स के लिए एक अलग अलग निवेश का पोर्टफोलियों बना सकते हैं ताकि आप अपने निवेश में डाइवर्सिफिकेशन के सिद्धांत का उपयोग करके कम से कम रिस्क में अधिक से अधिक लाभ कमा सके और अपने सपनों को पूरा कर सके।

निवेश करते समय पोर्ट्फोलीओ के फायदा ये है की आप इसकी हेल्प से अपने सभी निवेशकों के ओवरऑल यानी सभी निवेशकों का मिलाजुला परफॉरमेंस एक साथ देख सकते  और साथ ही आप तुलनात्मक स्टडी भी कर सकते हैं कि आपका निवेश पोर्टफोलियों अलग अलग समय में किस हिसाब से परफॉर्म कर रहा है।

सबसे बड़ा फायदा ये होता है की आप अपने इन्वेस्टमेंट के ऊपर डाइवर्सिफिकेशन का सिद्धांत अप्लाइ कर सकते हैं। यानी पोर्टफोलियों की मदद से आप अपने निवेश की रकम को अलग अलग निवेश के विकल्पों में निवेश करके अपने निवेश को डायवर्सिफाइ करके इन्वेस्टमेंट से जुड़े रिस्क को कंट्रोल कर सकते हैं।(Portfolio Kya Hai In Hindi)

आपने सुना ही होगा निवेश के बारे में मिस्टर वरुण हमेशा यह सलाह देते हैं कि आपको अपने सभी अंडे किसी एक बॉक्स में नहीं रखने चाहिए क्योंकि अगर उस बॉक्स को कुछ भी होता है तो आपके पूरे अंडे फूट जायेंगे और आपका नुकसान बड़ा होगा। ठीक उसी तरह जब भी आप निवेश करें तो आपको अपना पूरा पैसा किसी एक निवेश के विकल्प में निवेश नहीं करना चाहिए।

क्योंकि अगर उस निवेश के साथ कुछ भी भारी गड़बड़ी होती है तो आपका पूरा पैसा डूब सकता है। जैसे अगर आपने सारा पैसा स्टॉक मार्केट में लगाया हुआ है और अगर स्टॉक मार्केट क्रैश होता है तो इसकी वजह से आपको बहुत भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

लेकिन अगर आपने अपने निवेश पोर्टफोलियों को डाइवर्सिफाई किया हुआ है यानी अलग अलग निवेश के विकल्पों में अपने रिस्क उठाने की क्षमता के अनुसार निवेश किया हुआ है तो आपको स्टॉक मार्केट क्रैश होने से नुकसान तो जरूर होगा लेकिन हो सकता है की आपके डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियों की वजह से आपके पोर्टफोलियों वर्क स्टॉक मार्केट क्रैश होने का असर कम से कम हो।

तो इसलिए निवेशकों को हमेशा सबसे पहली सलाह यही दी जाती है की उनको अपने रिस्क उठाने की क्षमता के अनुसार अपना एक बैलैंस्ड निवेश पोर्टफोलियों बनाने का प्रयास करना चाहिए, जिससे भी कम से कम रिस्क के साथ अच्छा लाभ हासिल कर सके और इसीलिए पोर्टफोलियों क्या होता है, ये कैसे काम करता है इसे समझना बहुत इम्पोर्टेन्ट हो जाता है।

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Portfolio Ke Kitne Prakar Hai

  • कमाई प्रमुखता वाले पोर्टफोलियो (Income Preservation Portfolio) इनकम ग्रोथ वाले पोर्टफोलियों उन इन्वेस्टर्स के लिए काफी अच्छे माने जाते हैं जिन्हें काफी कम टाइम में बेस्ट इनकम की रिक्वायरमेंट होती है। भले ही यह रिक्वायरमेंट ज्यादा न हो।

इनकम प्रिजर्वेटिव पोर्ट्फोलीओ के इन्वेस्टर्स रिस्क काफी कम लेने वाले होते हैं और ये मोस्टली चेनजेबल सिक्युरिटीज़ में अपना इन्वेस्टमेंट नहीं करते इनकम, प्रिजर्वेटिव, पोर्टफोलियों में एक कंटिन्यू इनकम वाले सिक्यॉरिटीज ज्यादा होती है। differentiate करने के लिए blue chips share का भी प्रयोग किया जाता  है ।

  • परम्परावादी पोर्टफोलियो (Conservative Portfolio) कंजरवेटिव पोर्टफोलियों वह पोर्टफोलियों होते हैं, जिसमें इनकम रेगुलर आती है। इसमें इन्वेस्टर्स रेगुलर इनकम earn करने की इच्छा रखते हैं। कहने का मतलब है कि यह पोर्ट्फोलीओ सीनियर सिटिजंस के लिए काफी अच्छा रहता है।

इस कैटेगरी के इन्वेस्टर्स अपनी सेविंग्स का पार्ट अपनी रेग्युलर इनकम देने वाली सिक्यॉरिटीज में लगाते हैं, और इसका कुछ पार्ट अपनी इनकम को बढ़ाने वाली सिक्योरिटीज़ में लगाते हैं। Portfolio Kya Hai In Hindi इस कैटगरी के इन्वेस्टर्स अपनी लाइफ को स्पेन करने के लिए पैसा नहीं चाहते, बल्कि कुछ सालो के लिए अपने रिस्पॉन्सिबिलिटीज को अच्छे से फुलफिल करने के लिए बेस्ट अर्निंग चाहते हैं। conservative पोर्टफोलियों इन्वेस्टर्स एक हद तक रिस्की भी होते हैं।

  • पूँजी वृद्धि एवं आय पोर्टफोलियो (Growth & Income Portfolio) यहा पर इनकम पर ज्यादा फोकस किया जाता है। इसमें  कॉन्सेंट्रेशन होता है की कितना डेविड ऐलोकेट किया जाएगा इन्वेस्टर को या फिर कितनी इनकम उनको होगी? तो इनकम पोर्टफोलियों क्या रिप्रेजेंट करता है? पॉज़िटिव कैश फ्लो  रिप्रेजेंट करता है यह पोर्ट्फोलीओ , इसमें हमारा क्या क्या इन्क्लूड होता है?

स्टॉक इन्क्लूड होती है जो की रिटर्न प्रोवाइड कराती है।  डिफेंसिव सेक्युरिटी मतलब की जिसमें नॉर्मल रेट ऑफ रिटर्न है, वो होती है हमारी डिफेन्स इन्सेक्युरिटी तो उस पे हाइ रेट रिटर्न मिले तो ये जो पोर्टफोलियों उन स्टॉक्स को इन्क्लूड करता है जो सेक्युरिटी डिफेंसिव भी हो और थोड़ा सा हाइ रेट ऑफ रिटर्न भी प्रोवाइड कराये तो इनकम पोर्टफोलियों में ये वाली सेक्युरिटी आती है।

  • धन कमाऊ पोर्टफोलियो (Wealth Builder Portfolio) यह पोर्ट्फोलीओ वेल्थ बिल्डर पोर्टफोलियों कहलाता है जिसमे कि इन्वेस्टर्स हाइएस्ट इनकम earn करने पर विश्वास रखते हैं। इस पोर्टफोलियों पर हाई लेवल ऑफ कंपनी का कब्जा रहता है। कहने का मतलब यह है कि इस पोर्टफोलियों पर अधिकतर उन कंपनीज़ की पकड़ ज्यादा रहती है, जो कि हाई रिस्क और हाई इनकम पर विश्वास रखते हैं।Portfolio Kya Hai In Hindi | Portfolio Banana Kyu Zaruri Hai
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    जैसा की जहाँ ज्यादा इनकम है, रिस्क भी ज्यादा होता है तो यह ज़्यादा रिस्क उठा सकते हैं साथ ही साथ इन्वेस्ट करने के बाद अच्छी अर्निंग के लिए इनके अंदर काफी पेशेंट्स होता है। वेल्थ बिल्डर पोर्ट्फोलीओ वाले इन्वेस्टर् quick  अर्निंग पर विश्वास नहीं रखते। बल्कि, वह अपने कैपिटल को दुगने से ज्यादा वापस पाने की कोशिश और हिम्मत रखते हैं।

  • आक्रामक पोर्टफोलियो (Aggressive Portfolio) – अग्रेसिव ऐसे पोर्टफोलियों जिनमें ऐसी स्टॉक या फिर ऐसी सिक्युरिटीज़ इन्क्लूड होती है जिसमें हाई रिस्क भी होता है और हाइ रिटर्न रेट भी होता है, तो  इसका जो है रिस्क फैक्टर भी काफी हाई रहता है तो जो सेक्युरिटी हाइरिस्क पे होंगी वो  हाइ रिटर्न रेट होगा।

तो ऑब्वियस्ली फ्लक्चुएशन सभी उनमें लगातार होती ही रहेंगी, किसी भी सेक्युरिटी में इन्वेस्ट करोगे तो आप डेली उसमें फ्लक्चुएशन जरूर देखोगे। मतलब हाई रिस्क और हाई रिटर्न वाली आपको देखने को मिलेंगे , इसीलिए हाई रिस्क है।  तो  ऐसी कंपनी जो की एग्रेसिव स्टॉक  प्रोपोज़ करती है, यानी की हाइरिस्क वाली  सेक्युरिटी प्रोपोज़ करती है,  वो ऐसा इसलिए करती है क्योंकि वो अपनी पास्ट, ग्रोथ रेट और प्राइज को भी consider  करके चलते हैं।

Ache Portfolio Kai Liye Santulan Hai Jaruri

Portfolio Kya Hai In Hindi ये की जो भी हमारी संपत्ति है, जो भी हमारे पास धन है उसको हम तीन फॉर्म में रखेंगे। पहला करेन्सी के फॉर्म में, दूसरा डोमेस्टिक करेन्सी डोमेस्टिक बॉन्ड के रूप में, तीसरा फॉरेन बॉन्ड के रूप में तो ऐसा नहीं है की सारा का सारा पैसा हम फॉरेन बॉन्ड में रखेंगे और ऐसा भी नहीं है की सारा का सारा पैसा डोमेस्टिक बॉन्ड में रखेंगे।

तो सबसे पहले तो हमें की घरेलू ब्याज दर पर और  विदेशी ब्याज दर पर निर्भर करते हैं की अगर करेन्सी जो पैसा आप कैश रखते हो अगर मान लीजिये विदेशों में मुद्रा ब्याज की दर घट जाए या घरेलू बाजार में की दर घट जाए तो आप ज्यादा मुद्रा को अपने पास रखोगे  क्योंकि मुद्रा को कैश रखने की जो कॉस्ट होती है, ब्याज की दर होती है।

अगर ब्याज की दर ऊंची होगी, चाहे वो घरेलू बाजार हो या फिर  विदेशी बाजार में हो तो इसका मतलब है मुद्रा को कैश रखने के लिए आपकी कॉस्ट ज्यादा है। तो इसका मतलब ब्याज की दर नीचे होगी, चाहे वो घरेलू बाजार ब्याज दर हो, चाहे विदेशी ब्याज दर हो तो आप ज्यादा मात्रा में पैसा कैश रखोगे।

डोमेस्टिक मार्केट यानी की अगर विदेशी बाजार में  विदेशी ब्याज दर ज्यादा है या मान लीजिये विदेशी ब्याज दर कम होती है तो आप पैसा जो है वो घरेलू मार्केट में लगाओगे।

Portfolio Kya Hai In Hindi | Portfolio Banana Kyu Zaruri Hai

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Portfolio Ka Importance Kya Hai

पोर्टफोलियों इसी लिए महत्वपूर्ण है क्युकी  इसके द्वारा एक इन्वेस्टर निश्चय कर सकता है की कितनी कैपिटल इन्वेस्ट करने की जरूरत है? और किन किन फाइनैंशल ऐसेट या फिर किन किन सेक्युरिटीज़ में वो इन्वेस्ट करें। और किस प्रोपोर्शन में करें यानी की कितना कैपिटल किस asset में लगाना है और कितना कैपिटल किस सेक्युरिटी मैं लगाना है

और कितना कैपिटल किस सेक्युरिटी मैं लगाना है ।  पोर्टफोलियों मैनेजमेंट इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्युकी इसके द्वारा पता लगता है की यह काफी हेल्पफुल है डिटरमाइंड करने में की अपनी कैपिटल को कैसे इन्वेस्ट और मैनेज करना है

कोई भी पर्सन यही चाहता है की उसका पैसा बचे भी और उस पैसे के ऊपर उसको अच्छी खासी इनकम या फिर रिटर्न मिले। तो इसके लिए प्रोटोफोलियों की बहुत importance है ।

अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल

1. पोर्टफोलियो का क्या अर्थ है?

पोर्टफोलियों जो होता है, हमारी सारी इन्वेस्टमेंट का एक स्टॉक होता है, जिसमें हम अपने इन्वेस्टमेंट्स को हमें अपने कैपिटल को इन्वेस्ट करना हैं। उसको हम कैटेगराइज करते हैं कि हम अपने सारे कैपिटल को एक ही जगह इन्वेस्ट ना करे। डिफ़रेंट शिएट करके इन्वेस्ट करें। जिससे की हमें रिस्क कम उठाने और लॉस कम उठाने की जरूरत पडे ।

2. पोर्टफोलियो क्यों महत्वपूर्ण है?

पोर्टफोलियों हमारे लिए इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि पोर्टफोलियों के जरिए हम अपने स्टॉक, बॉन्ड और कैश को इन्क्लूड करते हैं। साथ ही साथ हम इसमें इक्विटी शेयर्स, टैंजिबल असेट ओर इनटैंजिबल ऐसेट को भी शामिल करते हैं। और एक विस्तृत रूप से कैटेगराइज करते हैं।  Portfolio Kya Hai In Hindi अपने कैपिटल के एक्सपेंडिचर्स को भी analysis करते है ,  तो हमें इन सब चीजों को ऐनालाइज करने में पोर्ट्फोलीओ काफी मददगार साबित होता है ।

3. पोर्टफोलियो संशोधन क्या है?

प्रेसेंट पोर्टफोलियों में ज्यादा प्रॉपर्टी या कैपिटल या फिर ऐसेट ऐड करने या इन्वेस्ट किए गए कैपिटल के अकॉर्डिंग उसको चेंज करने की प्रोसेसेस को पोर्टफोलियों संशोधन कहते हैं।

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